विधेयक फाड़कर चक्रव्यूह में स्वयं फंसे राहुल गांधी- सांसद पांडे

Hemkumar Banjare

राजनांदगांव । सांसद संतोष पांडे ने राहुल गांधी को सजा और सांसद पद से बर्खास्तगी उपरांत मच रही कांग्रेसी धमाचौकड़ी को मगरमच्छ के आंसू बताकर नियम कानून पढ़ने की सलाह कांग्रेसियों को दी है । सांसद ने कांग्रेसियों के सत्याग्रह और प्रदर्शन को हल्कापन करार दिया है । उन्होंने कहा कि प्रतीत होता है कांग्रेस पार्टी को देश की न्याय व्यवस्था पर विश्वास नहीं है। वे स्वयंभू मठाधीश बन बैठे हैं किन्तु देश कानून से चलता है दबाव से नहीं । कांग्रेसी हल्ला तो बहुत मचा रहे हैं लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि सजा के बाद राहुल की बर्खास्तगी के अलावा अन्य क्या विकल्प था। राहुल गांधी को वह दिन भी याद रखना चाहिए जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सार्वजनिक अपमान कर वर्ष 2013 में थामस बनाम भारतीय संघ फैसले के विरुद्ध लाए जा रहे अध्यादेश को उन्होने फाड़ दिया था। जिस कानून के तहत उनकी सदस्यता गई, यह कानून उन्हीं की सरकार की देन है । अब कांग्रेसी स्वयं के बनाए कानून का विरोध कर रहे हैं । यह देश भावनाओं और आंदोलन से नहीं वरन कानून से चलता है । सांसद पाण्डे ने प्रश्न उठाया कि अभी तो राहुल गांधी को और भी अदालतों से आने वाले निर्णयों का सामना करना है, इस प्रकार के कृत्य कहीं अन्य न्यायालयों से निर्णय को प्रभावित करने की साजिश तो नहीं है ? कुछ सुसुप्त कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के विरूद्ध आये निर्णय से अपनी भी रोटी सेंक रहे हैं, जिन्हें घर के बजट का बीस रूपये का भी हिसाब नहीं बनाना आता वे एक उद्योगपति के बीस हजार करोड़ का हिसाब मांग रहे हैं। कुछ अज्ञानी कांग्रेसी नेता राहुुल के विरूद्ध अदालत के इस निर्णय को आनन फानन में लिया गया निर्णय बताते हैं, जबकि राहुल गांधी के खिलाफ यह केस सन् 2019 में दर्ज किया गया वर्षो पुराना प्रकरण है।  इस प्रकार के कृत्य से कांग्रेस एक गलत परंपरा की शुरुआत करने का प्रयास कर रही है, जिसे देश की जनता भली-भांति समझ रही है और उनके षड़यंत्रों में नहीं फसने वाली है।

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