फिल्म 'लंतरानी' ग्रामीण जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी तीन घटनाओं को मनोरंजक अंदाज में दर्शकों तक पहुंचाती है।

Hemkumar Banjare
सबसे पहले बात अगर इस फिल्म के नाम की करें तो आपमें से काफी लोगों को इसका मतलब पता नहीं होगा। दरअसल, 'लंतरानी' का मतलब शेखी बघारना, डींग मारना या लंबी-लंबी फेंकना होता है। आपको बता दें कि लंतरानी किसी एक फिल्म का नाम नहीं है। इस फिल्म में तीन शॉर्ट फिल्में हैं, जिनका आपस में कोई कनेक्शन नहीं है। इससे पहले आप सेक्स और हॉरर विषय पर इस तरह की फिल्में देख चुके हैं, जिसमें अलग- अलग कहानियों का डायरेक्शन अलग-अलग डायरेक्टर करते हैं। फिल्म 'लंतरानी' की तीन अलग-अलग कहानियों का डायरेक्शन तीन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डायरेक्टर गुरविंदर सिंह, भास्कर हजारिका और कौशिक गांगुली ने किया है। फिल्म 'लंतरानी' ग्रामीण जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी तीन घटनाओं को मनोरंजक अंदाज में दर्शकों तक पहुंचाती है। फिल्म की पहली कहानी 'हुड़ हुड़ दबंग' में एक कॉन्सटेबल (जॉनी लीवर) को अपने रिटायरमेंट वाले दिन एक अपराधी को अकेले अदालत ले जाने का जिम्मा मिलता है। इस काम के लिए उसे पहली बार एक पिस्तौल और एक गोली के साथ बुलेट मोटर साइकिल भी मिलती है। उस पुलिसवाले का साबका जिंदगी में पहली बार इन चीजों से पड़ा है। बावजूद इसके वह अपराधी को लेकर अदालत पहुंचता है, लेकिन वहां पर उसके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को देखते हुए उसका अपराधी के प्रति नजरिया बदल जाता है। लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा हो जाता है, जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी। 

  दूसरी कहानी 'सैनिटाइज्ड समाचार' कोविड के दौर की कहानी 
फिल्म की दूसरी कहानी 'सैनिटाइज्ड समाचार' कोविड के दौर में टेलीविजन मीडिया के बदतर हालात को दिखाती है। फिल्म में एक लोकल समाचार चैनल के कर्मचारियों की बेहाल हालत दिखाई गई है जो कि नमकीन के पैकेट पैक करके अपना रोजाना खर्च निकाल रहे हैं। इसी बीच उनके चैनल को एक नया स्पॉन्सर मिलता है, जो कि अपने सैनिटाइजर का ऐड कराना चाहता है। हालांकि इसके लिए चैनल वालों को काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। 

  तीसरी कहानी 'धरना मना है' में जीतू भैया 
वहीं फिल्म की तीसरी कहानी 'धरना मना है' एक महिला सरपंच और सरपंच पति की है। सरपंच पति का रोल जितेंद्र कुमार ने निभाया है। कहानी के मुताबिक, सरपंच और उसका पति जिला विकास अधिकारी के ऑफिस पर धरना देते हैं, ताकि उनके बैंक में खाता खुल सके और उसमें सरकार की ओर से विकास के लिए पैसा आ सके। फिल्म में सरकारी सिस्टम की चुनौतियों को खूबसूरती से दिखाया गया है। तीनों कहानियों में से पहली 'हुड़ हुड़ दबंग' सबसे ज्यादा प्रभावशाली फिल्म की तीनों कहानियों में से पहली 'हुड़ हुड़ दबंग' सबसे ज्यादा प्रभावशाली बन पड़ी है। इसके डायरेक्टर गुरविंदर सिंह ने एक हास्य घटनाक्रम के जरिए समाज से जुड़ा एक महत्वपूर्ण संदेश देने का प्रयास किया है। कहानी का स्क्रीनप्ले भी दर्शकों को बांधता है। वहीं दूसरी कहानी 'सैनिटाइज्ड समाचार' में भास्कर हजारिका ने कोरोना के दौरान मीडिया की स्थिति पर व्यंग्य किया है। हालांकि कहानी का विषय अच्छा है, लेकिन उसका स्क्रीनप्ले कमजोर है। जबकि तीसरी कहानी 'धरना मना है' में कौशिक गांगुली ने ग्राम स्तर के जनप्रतिनिधि सरपंच की चुनौतियों को दिखाया है।
  जितेंद्र कुमार उर्फ जीत भैया का नहीं चला जादू
इसमें वह कहानी के संदेश को अपने दर्शकों तक पूरी तरह पहुंचाने में सफल नहीं हुए हैं इसलिए यह दर्शकों को बांध नहीं पाती है। बात अगर एक्टिंग की करें तो पहली कहानी में जॉनी लीवर व जीशू सेन गुप्ता जबर्दस्त लगे हैं। वहीं तीसरी कहानी धरना मना है में ओटीटी के पॉपुलर सितारे जितेंद्र कुमार उर्फ जीत भैया कतई प्रभावशाली नहीं लगे। यह समझना भी आसान नहीं है कि आखिरी जितेंद्र कुमार ने इस तरह का हल्का रोल क्यों साइन किया। फिल्म के बाकी कलाकारों ने भी औसत काम किया है। फिल्म को इसके निर्माताओं ने बिना किसी प्रमोशन के सीधे ओटीटी पर रिलीज किया है। शायद उन्हें पहले ही इस बात का अंदाजा था कि इसे दर्शकों का ज्यादा प्यार नहीं मिलने वाला है।
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