नोबेल पुरस्कार विजेता पाब्लो नेरुदा को किसने मारा, 50 साल के बाद रहस्य से उठेगा पर्दा

Hemkumar Banjare
गाँव की किसान खबरें नोबेल पुरस्कार विजेता कवि पाब्लो नेरुदा की मौत कैंसर से हुई या जहर से? यह सवाल उनकी मौत के 50 साल बाद भी इस सवाल का जवाब एक रहस्य बना हुआ है। लेकिन अब चिली की एक अदालत ने फैसला किया है कि नेरुदा की मौत के कारण की फिर से जांच की जाएगी। नेरुदा की मृत्यु 1973 में हुई थी। उसी साल जनरल ऑगस्टो पिनोचेत के नेतृत्व में तख्तापलट हुआ था। कई लोग मानते हैं कि नेरुदा को पिनोचेत की तानाशाही द्वारा जहर दिया गया था। उनकी मृत्यु के प्रमाण पत्र में कैंसर को मौत का कारण बताया गया था, लेकिन बाद में किए गए परीक्षणों में उनके शरीर में क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक बैक्टीरिया पाया गया।

कैंसर से मृत्यु का दावा खारिज
विशेषज्ञों के एक दल ने 2017 में दावा किया था कि नेरुदा की मृत्यु कैंसर से नहीं हुई थी, लेकिन यह निर्धारित नहीं कर सका कि उनकी मृत्यु का कारण क्या था। 2023 में एक अन्य वैज्ञानिकों की एक समिति ने भी यह निर्धारित करने में असमर्थता जताई कि क्या उन्हें जहर दिया गया था। नेरुदा के परिवार और समर्थकों ने 20 फरवरी, मंगलवार को आए अदालत के फैसले का स्वागत किया जो लंबे समय से उनकी मौत की उचित जांच की मांग कर रहे हैं। 
 
बैक्टिरिया के कारण हुई मौत? 
हाल ही में, एक अंतरराष्ट्रीय फोरेंसिक समूह ने नेरुदा के दांतों के नमूनों में 'क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम' बैक्टीरिया का पता लगाया है, जो एक घातक न्यूरोलॉजिकल बीमारी बोटुलिज्म का कारण बन सकता है। जांचकर्ताओं का काम यह निर्धारित करना है कि क्या नेरुदा के दांत में पाए गए नमूने को प्रयोगशाला में बदला गया था और बाद में किसी तीसरे पक्ष द्वारा उन्हें इंजेक्ट किया गया था। 2016 में, चिली सरकार ने माना कि यह 'स्पष्ट रूप से संभव और बहुत ज्यादा संभावना है' कि नेरुदा की हत्या की गई थी। 2017 में शोधकर्ताओं ने दावा किया कि नेरुदा प्रोस्टेट कैंसर से नहीं मरे थे।

चिली के तत्कालीन राष्ट्रपति के सलाहकार थे नेरुदा 
दरअसल, चिली में नोबेल पुरस्कार विजेता कवि पाब्लो नेरुदा की मृत्यु के रहस्य को सुलझाने के लिए एक बार फिर प्रयास किया जा रहा है। नेरुदा की मृत्यु 23 सितंबर, 1973 को हुई थी, जो चिली के समाजवादी राष्ट्रपति सल्वाडोर अयेंदे के तख्तापलट के 12 दिन बाद हुआ था। उनकी मृत्यु का आधिकारिक कारण प्रोस्टेट कैंसर बताया गया था, लेकिन कई लोगों का मानना है कि उन्हें जनरल अगस्टो पिनोशे की तानाशाही सरकार द्वारा जहर दिया गया था। नेरुदा चिली के समाजवादी राष्ट्रपति सल्वाडोर अयेंदे के मित्र और सलाहकार थे। उनकी मृत्यु की जांच 2011 में शुरू हुई थी, जब उनके पूर्व ड्राइवर मैनुअल अराया ने दावा किया था कि पिनोशे ने उन्हें मैक्सिको जाने से पहले मरवा दिया था। 20 फरवरी, मंगलवार को एक अदालत ने नेरुदा की मौत की फिर से जांच करने का आदेश दिया। मौत के 50 वर्षों के बाद शुरू होने वाली यह जांच इस रहस्य को उजागर कर सकती है कि क्या नेरुदा की मौत राजनीतिक शत्रुओं द्वारा जहर देने के कारण हुई थी। नेरुदा के भतीजे रोडोल्फो रेयेस ने दावा किया है कि उनके चाचा की मौत राज्य के एजेंटों द्वारा की गई हत्या थी। हालांकि, नई रिपोर्ट की सामग्री को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है क्योंकि यह जांच के नियमों के अधीन है। 


 आगे क्या? 
अदालत के फैसले के बाद अब एक नए जांच दल का गठन किया जाएगा। यह दल नेरुदा की मौत के आसपास के तथ्यों की समीक्षा करेगा और नए सबूतों की तलाश करेगा। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जांच किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंच पाएगी, लेकिन यह नेरुदा की मौत के बारे में सच्चाई का पता लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Description of your image