कद्दावर कांग्रेस नेता तरुण सिन्हा के बढ़ते प्रभाव के सामने आखिरकार क्यू बौने हो रहे अन्य नेता

Hemkumar Banjare

 राजनांदगांव//बड़े ही लंबे समय का वनवास काट कर कांग्रेस पार्टी ने सप्ताह हासिल की है भगवान श्री रामचंद्र जी का वनवास तो महज 14 सालों का ही था पर कांग्रेस को 1 साल अधिक ही वनवास काटना पड़ गया मध्य प्रदेश के समय से भौगोलिक दृष्टिकोण और राजनीतिक दृष्टिकोण की बात करें तो छत्तीसगढ़ प्रदेश हमेशा कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है कांग्रेसियों की आपसी गुटबाजी टांग खींचो राजनीति के कारण छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस का कुनबा कमजोर होते चला गया कारण जो भी हो कुछ कारण तो राजनीतिक पार्टियों में सदियों से रही विकृतियां ही रही होगी हल्की सुर्खियों बटोरने फोटो सेशन के माध्यम से अपने आप को स्थापित करने का प्रचलन में धीरे-धीरे बढ़ा है छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पश्चात कांग्रेस के पहले मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद जोगी को बनाया गया था जिन्होंने पार्टी किस तरह किस तरह बरकरार रहे इस पर उन्होंने एक अपना अलग ही नजरिया रखा था उसी नजरिया में एक था छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़िया और प्रादेशिक भक्ति खैर वह तो सफल नहीं हुए लेकिन अब उसी दिशा में सफलता की ओर उसी मंसूबे के साथ कांग्रेसी काम करने में लगी है ऐसे में फिर प्रदेश में अपने अपने प्रभाव को किसी भी तरह प्रस्तुत कर प्रभावित करने की राजनीति इन दिनों उफान पर है । इसका सबसे बड़ा कारण छुरिया क्षेत्र की राजनीति पर जब अध्ययन किया जाए तो ऐसी राजनीतिक उठापटक का पुलिंदा हाथ लगता है इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि चाहे खुज्जी में विधायक छन्नी साहू खून का घूंट पीकर ही क्यों ना रह जाए पर उसके धुर विरोधी के रूप में जाने पहचाने जाने वाले तरुण सिन्हा अपनी राजनीति की ठसक हमेशा बनाकर ही चलते हैं प्रभारी मंत्री का आगमन हो तो बड़े मंच के भीतर विराजमान होने से लेकर मुख्यमंत्री के काफिले में चाहे हेलीपैड हो चाहे नवीन जिले के गठन की तस्वीरें पर नजरें टिकाए तो हर जगह कहीं ना कहीं तरुण सिन्हा अपने आप को कद्दावर साबित करने की जुगत में कामयाब हो ही जाते हैं अब राज्य उत्सव के प्रादेशिक कार्यक्रम में विज्ञान महाविद्यालय परिसर की ही बात करें तो मुख्यमंत्री और राज्यपाल के उस मंच में भी अपने आप को मनचस्थ करने में सफल रहते हैं। उनके कद को देखते हुए ऐसा लगता है कि जिले में इतना दमदार नेता वह भी सत्ता के करीब दूसरा कोई होगा ऐसा नजर नहीं आता लोगों के बीच में खासकर कांग्रेसियों के बीच में यह चर्चा है कि आखिर कौन सा पद है जो मुख्यमंत्री प्रभारी मंत्री और प्रदेश के ताकतवर मंत्रियों के आभा मंडल का हिस्सा बन जाता है जहां प्रदेश के सभी प्रोटोकॉल इसकी इजाजत देते हो! खैर राजनीति में वही कामयाब है या तो वो ओर मे रहे या छोर मे पर तरुण सिन्हा के कद के सामने बड़े बड़े कद्दावर बाकी कमजोर नजर आते हैं। अब भविष्य में तरुण सिन्हा को कांग्रेस से और कांग्रेस पार्टी को तरुण सिन्हा से क्या फायदा होता है यह तो आगामी चुनाव में पता चलेगा जिससे रुतबे के साथ जमीनी हकीकत की वास्तविकता का भी पता चल पाएगा।

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