पानी की समस्या का समाधान होने से महिलाओं का जीवन हुआ आसान

Hemkumar Banjare
राजनांदगांव। गांव की किसान खबरें 
डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम बंजारी एवं फत्तेगंज की कहानी उन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मिसाल है, जहां जल जीवन मिशन ने जीवन स्तर को ना सिर्फ सुधारा है, बल्कि वहां के ग्रामीणों को नयी उम्मीद भी दी है। जिला मुख्यालय राजनांदगांव से 50 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत चारभाठा के आश्रित ग्राम बंजारी में 39 एवं ग्राम फत्तेगंज में लगभग 34 परिवार निवास करते है। इन गांवों के ग्रामीणों की आजीविका का साधन मुख्यत: कृषि और मजदूरी पर ही निर्भर है। पहलेे इन गांव में पानी की काफी समस्या थी और पेयजल का एकमात्र स्रोत हैंडपंप था। गांव के सरपंच श्री मनोज कोर्राम बताते है कि ग्राम बंजारी एवं फत्तेगंज के ग्रामीण लम्बे समय से पेयजल के लिए संघर्ष कर रहे थे। हैंडपम्पों से पानी निकालने में काफी दिक्कते आती थी। गर्मियों के दिनों में जब जलस्तर नीचे चला जाता था, तब पानी निकालना और भी मुश्किल हो जाता था। कई बार पानी भरने के लिए ग्रामीणों को लंबी लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। कई ग्रामीणों को दूर के क्षेत्रों से पानी भरकर लाना पड़ता था, जिससे उनका समय तो बर्बाद होता ही था, बल्कि मेहनत भी काफी लगती थी। पानी की कमी का सबसे ज्यादा प्रभाव गांव की महिलाओं पर पड़ता था। जिनके दिन का एक बड़ा हिस्सा पेयजल की व्यवस्था में बीत जाता था।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्री अरूण साव की पहल से जल जीवन मिशन के तहत ग्राम बंजारी में 950 मीटर तथा फत्तेगंज में 750 मीटर की पाइप लाइन बिछाई गयी है तथा सोलर के माध्यम से 24 घंटे पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की अगुवाई में ग्राम को हर घर जल घोषित किया गया। अब प्रत्येक घर में नल के माध्यम से पेयजल पहुंचाया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों की दिनचर्या में बहुत बदलाव आया है। जो समय पानी की व्यवस्था में लग जाता था, अब अन्य कार्यों में समय का उपयोग किया जा रहा है। इससे ग्रामीणों की उत्पादकता भी बढ़ी है और जीवन स्तर में सुधार भी हुआ है। ग्राम की निवासी श्रीमती निर्मला साहू एवं श्रीमती अंजू सिन्हा ने बताया कि पहले उनका समय दिन भर पानी जुटाने में लग जाता था एवं अपने बच्चों के देखभाल में भी पूर्ण समय नहीं दे पाती थी, लेकिन जल जीवन मिशन अंतर्गत घरों में नल की सुविधा मिलने से आज उनके बच्चों को भी पढ़ाई के लिए अधिक समय मिलने लगा है, जिससे बच्चों के शैक्षणिक स्तर में  भी  सुधार हुआ  है।
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