ड्रोन दीदी की सफलता के उड़ान की कहानी

Hemkumar Banjare
दुर्ग | गाँव की किसान खबरे 



इस समाचार को  चलने का उदेश्य है   सही दिशा में मेहनत करने पर सफलता जरुर मिलते है 


जिले के छोटे से गाँव मतवारी में रहने वाली जागृति साहू की कहानी प्रेरणा से भरी हुई है। पढ़ी-लिखी जागृति ने दो विषयों में पोस्टग्रेजुएट और बी.एड. की डिग्री प्राप्त की है। बचपन से ही जागृति का सपना था कि वह एक शिक्षक बने, लेकिन किस्मत ने कुछ और ही लिखा था। किसी कारणवश वह अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाई, जिससे वह निराश हो गईं। 

 जागृति के पति श्री चंदन साहू बताते है
कि शिक्षक न बन पाने से जागृति के व्यवहार में बहुत परिवर्तन आया। निराशा की वजह से वे ज्यादा बात भी नहीं करती थी। वे कहते हैं ’’मैंने उस वक्त सोचा कि किसी काम में व्यस्त होने से शायद इनका मन लगे। चुंकी मेरी बेटी और मुझे मशरूम बहुत पसंद था तो मैंने उन्हें मशरूम की खेती करने का सुझाव दिया। बेटी की पसंद की वजह से जागृति ने यह कार्य प्रारंभ किया। देखते ही देखते बेटी की छोटी सी पसंद के लिए शुरू किया गया कार्य जागृति को उंचाईयों तक ले गया। धीरे-धीरे, उन्होंने अपनी रुचि को बढ़ाते हुए हर्बल गुलाल और घरेलू वस्तुएं बनानी शुरू कीं। साल 2019 में, जागृति ने 33 लाख रुपये का मशरूम बेचा, जो उनके मेहनत और समर्पण का परिणाम था। जागृति ने अपने साथ और महिलाओं को भी मुनाफ़ा दिलाया। वे अपने आस पास के गाँव की दीदियों को भी प्रशिक्षण देकर स्वावलंबन की राह दिखाई।

 जागृति के कार्यों में 
व्यवसाय के साथ समाज के प्रति उत्तरदायित्व भी दिखता है। वे बताती हैं की जब उन्हें कैमिकल वाले गुलाल से होने वाले नुक़सान के बारे में पता चला तब उन्होंने उसके विकल्प के बारे में सोचना शुरू किया। थोड़े अध्ययन के बाद उन्होंने पाया की घर पर उगने वाली साग-भाजी और फूलों से ही हर्बल गुलाल बनाया जा सकता है। उन्होंने अपने समूह की दीदियों के साथ मिलकर हर्बल गुलाल का उत्पादन प्रारंभ किया। पहले वर्ष समूह की दीदियों ने केवल 35 हज़ार रुपये का गुलाल विक्रय किया। पिछले वर्ष उनके समूह को हर्बल गुलाल के लिए बहुत सारे ऑर्डर्स आए, उन्होंने लगभग 8 लाख 25 हज़ार रुपये की बिक्री की। 

  जागृति का सफर यहीं नहीं रुका। 
जागृति ने शासन की योजनाओं का लाभ लिया और एक सामान्य महिला से अपनी अलग पहचान बनाई। मशरूम की खेती से नई ऊँचाइयाँ प्राप्त करने पर उन्हें “मशरूम लेडी ऑफ़ दुर्ग” कहा जाने लगा। जागृति का सफ़र एक सामान्य महिला से लेकर लखपति दीदी बनने और आज ड्रोन दीदी के रूम में कृषि को उन्नति की ओर ले जा रहा है। 

  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल नमो ड्रोन दीदी में चयनित होकर 
उन्होंने ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण लिया। आज वह एक प्रमाणित ड्रोन पायलट हैं और ‘ड्रोन दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं। ड्रोन के माध्यम से वह खेतों में दवाइयों का छिड़काव करती हैं और इस नई तकनीक का लाभ किसानों तक पहुंचाती हैं। इससे किसानों का समय तो बचता है साथ ही श्रम और खर्च भी कम होता है। 

  जागृति साहू की कहानी हमें सिखाती है 
 किस तरह संघर्ष और मेहनत से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है और सफलता प्राप्त की जा सकती है। वे बताती हैं की शुरू में लोग उनपर हंसा करते थे और आज उनकी मेहनत और राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार की लाभकारी योजनाओं की बदौलत लोग उनका उदाहरण देने लगे हैं। 

  जागृति शिक्षक तो नही बन पाईं परंतु आज वे कई महिलाओं के लिए 
व्यवहारिक एवं व्यवसायिक शिक्षक की मिशाल हैं। जागृति कई महिलाओं को ड्रोन, मशरूम उत्पादन एवं घरेलू वस्तुओं के उत्पादन संबंधित तकनीकी एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण दे रही हैं। जिससे उनके साथ-साथ अन्य महिलाएं भी स्वावलंबन की ओर अग्रसर हो रही हैं। अपने कौशल व सरकार की योजना के माध्यम से ड्रोन दीदी जागृति ने स्वयं के साथ साथ अन्य महिलाओं को आर्थिक संबल प्रदान किया है।
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