- कांग्रेस राज में भू-माफियाओं का आतंक- नीलू शर्मा
राजनांदगांव। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता नीलू शर्मा ने प्रदेश की भूपेश सरकार को आदिवासी विरोधी बताते हुए कहा कि कांग्रेस के राज में भू माफियाओं का आतंक इस कदर जारी है की आदिवासियों की जमीन भी बच नहीं पा रही है एक तो प्रदेश की भूपेश सरकार ने आदिवासियों के आरक्षण में भांजी मारकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के बजाए और दूर कर दिया है अब भू माफियाओं से उनकी जमीन छीनवा कर लगता है कि प्रदेश सरकार इन्हें प्रदेश बदर करना चाहती है. भाजपा प्रवक्ता ने प्रदेश की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राजनांदगांव जिले के ग्राम मनगटा के करीब झूराडबरी ग्राम पंचायत में भू माफियाओं ने सरकारी जमीन के साथ-साथ आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर ली है. राजनांदगांव शहर से 22 किलोमीटर दूर जंगल सफारी के रूप में उभरते वन चेतना केंद्र के समीप जारी अवैध प्लाटिंग के खेल में बड़े-बड़े लोगों का हाथ है. इस अवैध प्लाटिंग के खेल में अब तक कार्यवाही नहीं होने के पीछे कुछ नामचीन चेहरों का शामिल होना सामने आ रहा है. लोगों की जमीन जिसमें आदिवासियों की जमीन भी शामिल है जिसे पूर्व में पदस्थ कुछ अफसरों ने भी खरीदी हैं, भू माफियाओं ने ग्राम झूराडबरी के अधिकांश हिस्से में कब्जा जमा लिया है लेकिन प्रशासन कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है. लगता है कि इन्हें भू माफियाओं को अपने बड़े आकाओं का संरक्षण प्राप्त है जिनकी राजनीतिक रसूख सिर चढ़कर बोलती है. श्री शर्मा ने कहा कि अवैध प्लाटिंग का खेल केवल झूराडबरी जैसे ग्राम पंचायत में नहीं बल्कि भू माफियाओं का अवैध प्लाटिंग का जाल संस्कारधानी कहे जाने वाली शहर तक पहुंच गया है. चंद पैसों की लालच में जमीन से जुड़े कारोबारी इस तरह के काम को अंजाम दे रहे हैं यही नहीं उक्त जमीन पर बिना किसी विभाग के एनओसी लिए ही धड़ल्ले से प्लॉट बिक्री की जा रही है अवैध प्लाट के इस खेल में ज्यादातर दुर्ग भिलाई रायपुर के लोग शामिल होना पता चल रहा है. किंतु संबंधित विभाग की चुप्पी से इनके हौसले बुलंद है. बड़े मजे से जमीन की खरीद-फरोख्त को अंजाम देकर ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने में लगे हुए हैं. श्री शर्मा ने प्रदेश की भूपेश सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि जो सीएम राज्य स्थापना दिवस के कार्यक्रम में झारखंड के दागी सीएम को बुलाना नहीं भूलते वह कैसे भ्रष्टाचार से मुंह मोड़ सकते हैं. छत्तीसगढ़ के सीएम प्रदेश में हो रहे आदिवासियों के साथ अन्याय पर चुप्पी साधे हुए हैं, उनकी जमीन भू माफियाओं के चंगुल में जा रही है ऐसे में उन्हें आदिवासी हितैषी नहीं आदिवासियों का दुश्मन ही कहा जा सकता है क्योंकि आदिवासियों के आरक्षण में कटौती करके सीएम भूपेश बघेल ने दिखा दिया कि प्रदेश में आदिवासियों के दोयम दर्जे का नागरिक बना कर छोड़ेंगे ताकि वह कभी भी समाज की मुख्यधारा में शामिल ना हो सके जंगल में ही रहे जंगल से बाहर न निकल सके.