राजनांदगांव। भिलाई सिविक सेंटर जयंती स्टेडियम में श्री एकांतेश्वर महादेव शिव महापुराण कथा के छठवें दिन अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने संपूर्ण जगत को संदेश देते हुए व्यासपीठ से कहा कि इतने बरसते पानी के बावजूद लाखों की संख्या में शिव महापुराण की कथा में पहुंचना यह महादेव की कृपा से ही संभव है उन्होंने आगे कहा कि हमारे पूर्व में किए गए भगवत भजन पूर्व में किया गया संबंध, नाते ,रिश्ते ही हमें भगवत भजन से जोड़ कर रखती है बिना प्रभु भोलेनाथ की इच्छा से हम एक कदम भी नहीं चल सकते उनकी कृपा से ही भगवत भजन से ही हमे अपनी जिंदगी में स्मरण रखना चाहिए। शिव कथा कहती है कि सद्गुरु, साधक ,उपासक ,भगवत भजन में डूबने वाले गुरु के शब्द, मंत्र, वाणी को जीवन में उतारने से हमें उनकी कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। उन्होंने कहा मन भगवत भजन में नहीं लगे तो अपने गुरु के मंत्र वाणी के बल पर भजन करना प्रारंभ कर देना चाहिए।अपने धर्म को कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए।
पंडित मिश्रा जी ने कथा प्रसंग में आगे कहा कि एक पत्र में पिता ने लिखा है कि उनकी 14 वर्ष की बेटी उनकी सहेलियों की गलत संगति में फंस कर प्रेम जाल में फस कर दूसरे धर्म में प्रवेश कर लिया उसके लिए महाराज जी ने कहा कि घर के बच्चे को घर का भोजन और माता-पिता का ज्ञान अच्छा नहीं लगता तो समझ लेना कि उसकी विनाश बर्बादी की सीढ़ी प्रारंभ हो गई है।
जिसका घर परिवार अनुशासन में रहता है वहां दुशासन जन्म नहीं ले सकता घर के बच्चे माता-पिता के अनुशासन में रहे और घर के बुजुर्ग अपने पूर्वजों के अनुसरण में चले तो घर स्वर्ग बन जाता है। घर में माताएं अपने बच्चों को संस्कार दें । उन्होंने आगे कहा कि आज रविवार का दिन है होटल में सभी लोग खाने को जाएंगे घर के सभी लोग होटल में खाना ना खा कर सभी लोग भगवान शंकर की अविरल भक्ति करेंगे और भगवान की चर्चा कथा सुनेंगे तो भगवान भोलेनाथ भी आपकी बात भी जरूर मानेंगे।
हफ्ते में एक दिन परिवार के साथ एक साथ भोजन और भजन करें साधु ,सन्यासी की मती और श्रीमती की मती सही हो तो घर गृहस्ती को स्वर्ग बना देती है।
पंडित मिश्रा जी ने ओ डमरू वाले ओ काशी वाले दिल मेरा रखना तेरे हवाले मीठी मीठी तालियों के साथ भजन गाया तेरे भक्तों ने तुझको पुकारे दिल में रखना तेरे हवाले ओ काशी वाले डमरू वाले दिल मेरा रखना तेरे हवाले के सुंदर भजनों में भक्तों ने झूमते हुए ताली बजाते हुए भक्तों ने भजन किया।
0 सनातन धर्म को छोडकर दूसरे धर्म मे ना जाए
पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने कहा कि अपने सनातन धर्म को छोड़कर किसी दूसरे के धर्म में मत जाना लोग फ्री में मोटी मोटी किताबे बांट कर आपको सनातन धर्म से वंचित करने का प्रयास कर रहे हैं मोटी मोटी नि:शुल्क किताबें सनातन धर्म को तोड़ने के लिए बाटी जा रही हैं जिससे सनातन धर्म के लोग उनकी बातों से प्रभावित ना हो और अपने धर्म में बने रहे अपने धर्म में जिए और अपने धर्म में ही रहे।
पंडित मिश्रा जी ने आगे कहा कि राम की भक्ति ,शिव की भक्ति करने वाला लड़की लड़की बताओ कहने वाले बहुत कम मिलते हैं अच्छे लड़की लड़का बताओ कहने वाले बहुत हैं अपनी सोच को बदलें और राम शिव की भक्ति वाले से संबंध को जोड़ें। जिससे परिवार खुशहाल और समृद्ध होंगे।
0 छत्तीसगढ़ का निवासी सेवा करने में कभी पीछे नहीं हटता
छत्तीसगढ़ का व्यक्ति अपने काम में जब भीड़ जाता है तो वहां पूरी तरह से भीड़ जाता है और जब भी सेवा करें भजन करें तो वह पूरी तरह से समर्पित होकर करता है पंडित मिश्रा जी ने कहा कि छत्तीसगढ़ का हलवाई ने उज्जैन के कुंभ में ऐसा काम किया जिसकी प्रशंसा की छत्तीसगढ़ का चावल भर भर कर गाड़ी जाती है छत्तीसगढ़ का निवासी जब सेवा करते हैं तो जी जान लगाकर सेवा करते हैं छत्तीसगढ़ के निवासियों ने भिलाई में पोहा ,पूड़ी, केला पानी की सेवा इत्यादि सभी सेवाएं जी जानकर लगाकर की और भर भर कर दोनों हाथों से शिव भक्तों पर लुटाया यह छत्तीसगढ़ के भिलाई धन्य है जहां लोगों ने खूब सेवा की है।
0 भगवान भोलेनाथ के मंदिर वी आई पी बनकर ना जाए
भगवान भोलेनाथ शिव शंकर को तोड़ा हुआ नारियल नहीं चढ़ता भगवान शंकर की मंदिर जाए तो पूर्ण समर्पण के साथ जाए वीआईपी बनकर नहीं जाए पूर्ण श्रद्धा ,भक्ति, विश्वास से भगवान भोलेनाथ की भक्ति करें। दिखावे के लिए या इंजॉय के लिए भक्ति नहीं करें और शिव महापुराण कथा में भीड़ बढ़ाने के लिए नहीं, भक्ति बढ़ाने के लिए आए उन्होंने कहा कि सुंदरकांड का पाठ कराने के लिए एंजॉय के लिए नहीं बल्कि मोक्ष पाने के लिए करना चाहिए। शिव भक्ति से मनुष्य जो प्राप्त करना चाहता है वह उसे प्राप्त हो जाता है।
0 बारिश की फुहारों ने श्रद्धालुओं को कथा पंडाल मे पहुंचने से नहीं रोक पाई
श्री एकांतेश्वर महादेव शिव महापुराण कथा के छठवें दिन लगातार बारिश के बावजूद भी लोगों की भक्ति में कोई कमी नहीं रही , बारिश लगातार होता रहा और पंडाल में भी पानी पानी हो गया था पानी भी लगातार गिर रहा था उसके बावजूद भक्त जन लगातार कथा श्रवण करने के लिए भक्त रेनकोट, छाता लेकर कथा प्रसंग सुनते रहे और रिमझिम फुहारों के साथ भक्ति में डूबे रहे।